Monday, January 11, 2010

मिरे महबूब/My Love

मिरे महबूब की शोखियों कि मैं क्या बात कहूं
सब नज़ारों से, चाँद-तारों से हसीं मेरा यार है

नजरें बिछाए बैठें हैं हम राह-ए-गुजर पे
इक झलक पाने को उनकी ये दिल बेक़रार है

पतझड़ था दिल का मौसम उनके आने से पहले
उनके आने से दिल पे छायी बसंत बहार है

उनके खातिर में छोड़ दूं हसके ये सारा जहाँ
इश्क के सजदे में दिल क्या जाँ भी निसार है

इश्क के दम से ही मुकम्मल है पूरी कायनात
इश्क है इबादत और महबूब परवरदिगार है

4 comments:

deepti said...

accha likha hai tumne...tumhari esse bhi behtar ghazal ka intzaar hai hume...

"Sonu Chandra "UDAY" said...

Thanks


Deepti ji

Anonymous said...

bolo bolo kaun hai vo??? mire hai ya mere??linguistics wale galti karenge

"Sonu Chandra "UDAY" said...

Abhi to Talash jari


Dear!! Tumhari Nazar koi hai kya !!!