ये ज़माना तो है तरक्की पसंदों का दुश्मन
राह मन की चलो, लोग जलते हैं जलने दो
गिरतों को गिरना है लोगों की पुरानी आदत
पर बात तो तब है की गिरतों को संभलने दो
नफरत की मशाले लिए कुछ लोग घूमते हैं
कर लो कैद इनको घर से बाहर न निकलने दो
अमन के चराग देखो, दोस्तों हरगिज़ न बुझने पायें
रुख हवाओं का मोड़ दो, इन चरागों को जलने दो
दर्द तुम कब तक सहोगे? पीछे कब तक रहोगे ?
हिम्मत करो खुद को बाहर दायरों से निकलने दो
2 comments:
नफरत की मशाले लिए कुछ लोग घूमते हैं
कर लो कैद इनको घर से बाहर न निकलने दो
ye do laine bahut acchi hai agar har aadmi ye baat yaad rakhe to shayad bahut kuch behtar ho jayega...ghazal acchi hai ..alfazo ka acche se badha hai tumne
नफरत की मशाले लिए कुछ लोग घूमते हैं
कर लो कैद इनको घर से बाहर न निकलने दो
ye do laine bahut acchi hai agar har aadmi ye baat yaad rakhe to shayad bahut kuch behtar ho jayega...ghazal acchi hai ..alfazo ka acche se badha hai tumne
Thanks
sahi kaha
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