याद में तेरी नीद न आयी मुझे सारी रात
करवटें बदल-बदल कर मैंने गुजारी रात
आँखों में तेरे ही ख्वाब संजोता रहा मैं
तेरी सूरत चाँद में देखकर मैंने गुजारी रात
पुंछा जब चाँद ने रात कि जहाँ फ़िदा-ए-चाँद
पर किसकी? खुमारी में पूरी है तू ने गुज़री रात
मैंने कहा खूबसूरत है तू नगीना-ए-आसमां
पर वो हुस्न है कायनात, है जिसकी खुमारी रात
तेरे गुलाबी सुर्ख होंठों का नशा था वो यक़ीनन
कि सहरा को गुलशन नजर आया सारी रात
तेरी उल्फत में हो गया है दीवाना-सा "उदय"
रेत को बिस्तर समझकर मैंने कल गुजारी रात
4 comments:
nice Creativity, Hows u think this
Thanks Anil ji
It's Blessing of Maa Sarswati ji
Very nice
Ashok ji
Tah-e-Dil se
Shukria apka bus aise hi Sneh aur Pyar dete rahiyega !!!!
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